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समाज
| 6-मिनट में पढ़ें
ऑनलाइन एडिक्ट
ह्यूमन पप्स बनकर जीने वाले लोग आखिर किस समाज का हिस्सा हैं?
भारत में समलैंगिक समुदाय ने एक बड़ी लड़ाई जीती है. दो समलैंगिकों के सेक्स को अपराध मानने वाला कानूनी प्रावधान हटा दिया गया है. लेकिन अब दुनिया के किसी कोने में ऐसे लोगों का समुदाय खड़ा हो रहा है, जो कुत्ते के भेस में रहना ही पसंद करते हैं.
सियासत
| 5-मिनट में पढ़ें
आईचौक
@iChowk
सरकार क्यों सुप्रीम कोर्ट के कंधे पर बंदूक रख कर वोट बैंक साधने लगी है
राम मंदिर के मुद्दे पर बीजेपी मामला सुप्रीम कोर्ट में बता कर पल्ला झाड़ ले रही है. धारा 377 को लेकर भी यही रवैया रहा, लेकिन SC/ST एक्ट को लेकर सरकार का स्टैंड बिलकुल अलग रहा. ऐसा क्यों?
समाज
| 7-मिनट में पढ़ें
श्रुति दीक्षित
@shruti.dixit.31
समलैंगिकों के यौन-संबंध को लेकर कानूनी जीत अधूरी है
भारत में सेम सेक्स रिश्ते को तो गैरकानूनी अब नहीं माना जाएगा, लेकिन शादी का क्या? समलैंगिक पार्टनर चुनना आसान है, लेकिन आप उससे शादी नहीं कर सकते. इसे कानूनी मान्यता नहीं प्राप्त है.
समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
अनुज मौर्या
@anujkumarmaurya87
धारा 377 बरकरार है और उससे जुड़ा भय भी
सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया है उससे समलैंगिक लोगों में एक जश्न का माहौल तो है, लेकिन समाज का भय अभी उनके दिल से निकला नहीं है. धारा 377 के भी सिर्फ एक प्रावधान को खत्म किया गया है, ना कि पूरी धारा को.
समाज
| 5-मिनट में पढ़ें
आईचौक
@iChowk
समलैंगिकता को लेकर क्या कहते हैं भारत के 6 प्रमुख धर्म
धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला जो भी हो, भारत में समलैंगिकता को लेकर धार्मिक मान्यताएं भी लोगों की सोच पर बड़ा असर डालती हैं. हिंदू, इस्लाम, बौद्ध, जैन, ईसाई और सिख धर्म में समलैंगिकता पर कुछ खास बातें कहीं गई हैं.
सिनेमा
| 5-मिनट में पढ़ें
पारुल चंद्रा
@parulchandraa
10 फिल्में, जिनकी एक झलक समलैंगिकों के प्रति आपका नजरिया बदल देंगी
यूं तो समलैंगिक रिश्तों पर कई फिल्में बनी हैं. जिन्हें दर्शक भी कम ही मिले हैं. लेकिन जो फिल्में बेहद खास रहीं हैं और लोगों के दिलों पर छाप छोड़ पाईं, उनके बारे में अब सभी लोगों को जान लेना चाहिए.
सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
आईचौक
@iChowk
धारा 377 के तहत कल का 'अपराध', आज अधिकार है क्योंकि...
सुप्रीम कोर्ट ने LGBTQ समुदाय को नौ साल बाद फिर से खुशी लौटा दी है. 2009 में दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में खुद ही इसे अपराध करार दिया था, लेकिन अब इसे Right to Life जैसा माना है.
सोशल मीडिया
| 7-मिनट में पढ़ें
श्रुति दीक्षित
@shruti.dixit.31
धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सतरंगी हो गया ट्विटर
सुप्रीम कोर्ट ने 6 सितंबर 2018 को एक ऐतिहासिक फैसला लिया है. धारा 377 जो अपनी मर्जी से किए जाने वाले 'अप्राकृतिक' (जिसे कानून अप्राकृतिक मानता था) सेक्स को भी गैरकानूनी बताती थी उसे हटा दिया गया है. अब भारत के हर नागरिक को अपना साथी चुनने का अधिकार है.
सियासत
| 5-मिनट में पढ़ें
मृगांक शेखर
@msTalkiesHindi
धारा 377 पर फैसला 'मौलिक अधिकार' और 'मानवीय पहलू' पर ही होगा
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को अपने कार्यकाल के आखिरी दिनों में जो फैसले सुनाने हैं, उन्हीं में से एक है - IPC की धारा 377 में समलैंगिकता का स्थान. देश की सबसे बड़ी अदालत को तय करना है कि समलैंगिकता को अपराध के दायरे में रखा जाये या नहीं?